मिलिंद इंगळे and Shikha - O Priya
ओ प्रिया
जाने कैसा भीगा
भीगा भीगा है
समा नया नया
प्रिय बता ज़रा, लगे क्यूँ
सब नया नया
ओ प्रिया
पूरब की पहली तू महकी हवा है
सावन की पहली तू चंचल घटा है.
मेरी कल्पना की तू पहली है कविता
है सबसे निराली, तू ही प्रेम सरिता.
झरना भी झार झार झा
बह रहा नया नया,
प्रिय बता ज़रा लगे क्यूँ
सब नया नया ओ प्रिया.
ठंडी हवाएँ, समा है सुहाना
ग़ज़ब है ये तेरा निगाहें मिलना.
बहकी फ़िज़ाएं, हुआ दिल दीवाना
मेरा खुद बा खुद हो तेरे पास आना
जादू कैसा धीरे धीरे
धीरे च्छा रहा नया नया
प्रिय बता ज़रा, लगे क्यूँ
सब नया नया ओ प्रिया
Written by:
MILIND INGLE, SHYAM ANURAGI
Publisher:
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