Roop Kumar Rathod and Sonali Rathod - Uski Dulhan Sajaoongi

कमाले ज़ब्त को खुद भी तो आज़माऊँगी
कमाले ज़ब्त को खुद भी तो आज़माऊँगी
मैं अपने हाथ से उसकी दुल्हन सजाऊँगी
कमाले ज़ब्त को खुद भी तो आजमाऊँगी

सुपुर्द करके उसे चांदनी के हाथों में
सुपुर्द करके उसे चांदनी के हाथों में
मैं अपने घर के अंधेरों को लौट आउंगी
मैं अपने हाथ से उसकी दुल्हन सजाऊँगी

अब उसका फन तो किसी और से हुआ मनसूब
अब उसका फन तो किसी और से हुआ मनसूब
मैं किसकी नज़म अकेले में गुनगुनाऊँगी
मैं अपने हाथ से उसकी दुल्हन सजाऊँगी

जवाज़ ढूंढ रहा था नई मोहब्बत को
जवाज़ ढूंढ रहा था नई मोहब्बत को
वो कह रहा था के मैं उसको भूल जाऊँगी
मैं अपने हाथ से उसकी दुल्हन सजाउंगी
कमाले ज़ब्त को खुद भी तो आजमाऊँगी
कमाले ज़ब्त को खुद भी तो आजमाऊँगी
मैं अपने हाथ से उसकी दुल्हन सजाउंगी
दुल्हन सजाउंगी, दुल्हन सजाउंगी

Written by:
PRAVEEN SHAKIR, ROOP KUMAR RATHOD

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Roop Kumar Rathod and Sonali Rathod

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